हमसफ़र

गज़ल

ज़िंदगी यूँ ही बहुत कम है
मगर दिल में अरमान बहुत हैं।

हमदर्द नहीं मिलता यहां कोई
वैसे तो जग में इंसान बहुत हैं ।

दिल के जख़्म दिखायें किसको
है चाहत जिनकी, वो अनजान बहुत हैं ।

सज़दे के लायक नहीं सब कोई
यूँ तो महफ़िल में मेहमान बहुत हैं ।

रखना बचाके ए दोस्त हया की दौलत
यहां कदम-कदम पर हैवान बहुत हैं ।

उम्मीदों के दीपू जलाये रखना
ग़र भँवर में है कस्ती और तूफ़ान बहुत हैं ।

हिसार ( हरियाणा )  भारत ।