हमसफ़र
प्रकासित मिति : २०७७ जेष्ठ ९, शुक्रबार २०:५५
प्रकासित समय : २०:५५
ज़िंदगी यूँ ही बहुत कम है
मगर दिल में अरमान बहुत हैं।
हमदर्द नहीं मिलता यहां कोई
वैसे तो जग में इंसान बहुत हैं ।
दिल के जख़्म दिखायें किसको
है चाहत जिनकी, वो अनजान बहुत हैं ।
सज़दे के लायक नहीं सब कोई
यूँ तो महफ़िल में मेहमान बहुत हैं ।
रखना बचाके ए दोस्त हया की दौलत
यहां कदम-कदम पर हैवान बहुत हैं ।
उम्मीदों के दीपू जलाये रखना
ग़र भँवर में है कस्ती और तूफ़ान बहुत हैं ।
हिसार ( हरियाणा ) भारत ।